Makar sankranti भारतीय कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो पौष मास के सूर्यमकर राशि में प्रवेश के समय मनाया जाता है। यह त्योहार भारत और नेपाल के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न नामों और परंपराओं में मनाया जाता है, जो उत्साह और आनंद से भरा होता है।
सूर्य की उत्सवी यात्रा:
इस पर्व के महत्व का एक पहलू है सूर्य के महत्त्वपूर्ण प्रभाव का ध्यान रखना। मकर संक्रांति के दिन, सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन भक्त गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
परंपराओं की समृद्धता:
भारत में Makar sankranti उत्सव को विभिन्न नामों से जाना जाता है। छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में यह उत्सव अपनी विशेषता के साथ मनाया जाता है। विभिन्न प्रांतों में इसे ताइ पोंगल, उत्तरायण, शिशुर सेंक्रात, भोगाली बिहु, खिचड़ी, पौष संक्रान्ति, उत्तरैन, और मकर संक्रमण जैसे नामों से जाना जाता है।
धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व:
इस उत्सव का धार्मिक महत्व भी अत्यंत उच्च होता है। यह दिन भगवान सूर्य की पूजा एवं आराधना के लिए अत्यंत समर्पित होता है। लोग इस दिन दान-पुण्य करते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं, जिसे महास्नान के रूप में जाना जाता है।
मकर संक्रांति: समृद्धि और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक:
Makar sankranti त्योहार भारतीय समाज में एकता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। विभिन्न नामों और परंपराओं में मनाने के बावजूद, इस उत्सव में एकता और समानता का भावहोता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं, संदेश भेजते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साझा करते हैं। आधुनिक युग में, इस उत्सव को और भी सामाजिक रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। लोग छोटे-छोटे मोबाइल संदेश और सुंदर बधाई-कार्ड भेजकर इस परंपरागत उत्सव को और विशेष बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारतीय पौराणिक कथाएं:
Makar sankranti का ऐतिहासिक महत्त्व भी उत्कृष्ट है। अनुसार धार्मिक प्रेम से, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। इसी दिन गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
समृद्धि और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक:
मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जो समृद्धि, उत्साह, और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का आदान-प्रदान करता है और समाज को साथ लाता है। इस दिन लोग अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय के साथ खुशियों का उत्सव मनाते हैं और अच्छाई की भावना से जुड़ते हैं।
मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो भारतीय समाज के लिए उत्सव, शुभकामनाओं और एकता का प्रतीक है। इसे बड़ी धूमधाम से मनाने के साथ-साथ, इस उत्सव का महत्त्व और मूल्य हमारी संस्कृति के मूल तत्वों को दर्शाता है। यह त्योहार समृद्धि, समानता, और सांस्कृतिक भाईचारे को उजागर करता है।