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Lahori Zeera case study : जानिए कैसे Lahori Zeera बनी इंडिया की फेमस ब्रांड

Lahori Zeera दोस्तों, शायद आपने अपने पास की दुकान पर यह ड्रिंक देखी होगी, और शायद आपने इसे ट्राई भी किया होगा। कई बार ऐसा हो सकता है कि आपने इसे दिवाली के मौके पर किसी को गिफ्ट किया हो या फिर यह आपको किसी द्वारा भेजा गया हो। खासकर तब, जब आप उत्तर भारत में रहते हैं।

तीन दोस्तों ने मिलकर कैसे एक 250 करोड़ की ब्रांड बना दी, और वह भी उस मार्केट में जहां Pepsi-Cola राज करते आए हैं, यह किसी चुनौतीपूर्ण कहानी की शुरुआत है। इन्होंने कैसे Lahori Zeera को शुरुआत की, और कैसे उन्होंने मुश्किलों का सामना किया, यह सब कुछ जानना दिलचस्प है। उनका प्रोडक्ट कैसे मार्केट में प्रवेश किया गया, और उनकी मार्केटिंग कैसे कामयाब रही, यह सभी बातें जानकर हमें इनकी मेहनत और सफलता का अनुभव होगा। आज, Lahori Zeera कितना रिवेन्यू कमा रहा है, यह जानकर हमें इनके उद्यमी दृष्टिकोण का समर्थन मिलेगा।

तीन दोस्त, निखिल डोडा, सौरभ मुंजल, और सौरभ बुटन, सभी एक समय पर बैठकर यह सोच रहे थे कि जीवन में कुछ महत्वपूर्ण करना है, नौकरी में से कुछ नहीं बचा है, इसलिए वे ने निर्णय किया कि वे अपना स्टार्टअप शुरू करें।

साल 2017 में, इन तीनों दोस्तों के मन में एक सवाल था कि आखिरकार वे क्या करें। इस समय पर, इन लोगों ने भारतीय पेय मार्केट में एक कमी देखी, जबकि पेप्सी और कोक, जो अमेरिकी कंपनी हैं, भारत में वर्षों से शासन कर रही हैं। भारत में ऐसी कोई स्थापित कंपनी नहीं थी जो पूरे राष्ट्रीय स्तर पर आदिकृत भारतीय परंपरागत पेय बेच रही थी। जबकि दूसरे देशों में जैसे जापान और यूरोप में, वहां पर पेप्सी-कोला को “ब्रांड के ग्रेव यार्ड” कहा जाता है क्योंकि कई बड़ी कंपनियाँ इसमें विफल हो गईं थीं।

तो निखिल डोडा, जो अपने घर पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ कुछ न कुछ बनाते रहते हैं, ने एक पेय बनाया जिसमें पंजाब साइड लोगों को घर पर बनाने का आदान-प्रदान है। उन्होंने इस ड्रिंक को बनाकर अपने दोस्तों को पिलाया और पूछा कि क्या हम इसे मार्केट में ला सकते हैं। ड्रिंक की टेस्टिंग और प्रतिसाद के बाद, यह निर्णय हुआ कि हम यह ड्रिंक बना रहे हैं।

अब जब प्रोडक्ट तैयार था, सवाल था कि उसे मार्केटिंग के लिए कौनसा नाम चुना जाए। खाने-पीने के मामले में अमृतसर एक प्रसिद्ध नाम है, और यह ड्रिंक भी उसी क्षेत्र से सम्बंधित है। हालांकि, अमृतसर एक बड़ा नाम होने के कारण उसके लेबलिंग और मार्केटिंग में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता था।

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इसके बाद, नाम चुनाने में “लाहौरी” नाम का सुझाव आया, जिसमें एक मुख्य इंग्रेडिएंट है “लाहोरी नमक”। जैसा कि आप जानते हैं, लाहौर पहले भारत का हिस्सा था, लेकिन पार्टीशन के बाद वह पाकिस्तान में चला गया। इस नाम से, लोगों को यह आभास होता है कि यह ड्रिंक लाहौर से आई है और उन्हें इसे एक बार आजमाना चाहिए। इस प्रकार, ड्रिंक का नाम “लाहरी जीरा” रखा गया।

ड्रिंक तो बन गई थी, उसकी ब्रांडिंग और लेबलिंग भी हो गई थी, लेकिन अब चुनौती थी कि इसे मार्केट में कैसे प्रस्तुत किया जाए। कार्बनेटेड बेवरेजेस एक ऐसी चीज हैं जो लोग ऑफलाइन मार्केट से ही खरीदते हैं, जब प्यास लगती है तो वे शॉपकीपर के पास जाते हैं, उनके पास विकल्पों की जाँच करते हैं, और फिर एक चयन करके इसका आनंद लेते हैं।

लेकिन, कार्बोनेटेड बेवरेजेस को ऑनलाइन मार्केट में प्रस्तुत करना एक नया चुनौतीपूर्ण कार्य था। इसके लिए, उन्होंने एक अभियांत्रिक तथा नैतिक दृष्टिकोण से भरी स्थानीय बाजारीयों और बूटीक्स के साथ मिलकर काम किया। वे उच्च गुणवत्ता और प्राकृतिक रसों का उपयोग करते हैं, जो इसे उनिक बनाता है।

उनकी प्रमुख मार्गदर्शिका रही – “स्वाद का अनुभव कराएं, जिसे लोग याद करेंगे।” इसी दृष्टिकोण से, वे ऑनलाइन विपणी के लिए एक अत्यंत प्रभावी और सुरक्षित तकनीक विकसित करने में सफल रहे।

इसके साथ ही, उन्होंने विभिन्न राज्यों में बढ़ते हुए डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को भी तैयार किया, जिससे वे लोगों को अपनी उत्कृष्ट ड्रिंक तक पहुँचा सकें।

इस उदाहरण से हम देख सकते हैं कि एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संबंधों, स्थानीयता और सुरक्षित ऑनलाइन बिक्री की दृष्टि से, लाहरी जीरा ने मार्केट में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है।

अपनी सेल्स में वृद्धि करने की दिशा में, Lahori Zeera को ऑफलाइन मार्केट में प्रवेश करना आवश्यक था, जिसके लिए उन्होंने एक पारंपरिक वितरण श्रृंगार चयन किया। इसमें, उनके प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर के पास जाते हैं, फिर डिस्ट्रीब्यूटर से रिटेलर तक, और अंत में रिटेलर से ग्राहक को पहुंचते हैं।

इस प्रक्रिया में एक समस्या उत्पन्न हुई कि Lahori Zeera एक नई ब्रांड थी, इसलिए डिस्ट्रीब्यूटर्स इसके प्रोडक्ट्स को नहीं खरीदना चाहते थे क्योंकि यह बाजार में नई कंपनी और उत्पाद था। यदि कोको कोला या पेप्सी-कोला ने इसे लॉन्च किया होता, तो डिस्ट्रीब्यूटर्स शायद उन्हें स्वीकृति दे लेते और रिटेलर्स को प्रेरित कर लेते, लेकिन Lahori Zeera के मामले में ऐसा नहीं था। इससे उन्हें डिस्ट्रीब्यूटर्स को मनाने और उन्हें उनके सामान को क्रेडिट पर देना पड़ता था, जिससे कि Lahori Zeera का नकदी निर्वाह हो जाता और उन्हें और पैसों की आवश्यकता होती थी।

इस समस्या का समाधान निकालने के लिए, Lahori Zeera ने सीधे रिटेलर्स के साथ मिलकर काम किया। वे अपने प्रोडक्ट्स को चंडीगढ़ के रिटेलर्स के सामने प्रस्तुत करने के लिए रिटेलर्स से मिले और उन्हें पूर्णतः टेस्ट करने का अनुरोध किया। जब रिटेलर्स को इस प्रोडक्ट का व्यक्तिगत अनुभव हुआ और उन्हें यह पसंद आया, तो वे Lahori Zeera को बेचने के लिए तैयार हो गए।

इसलिए, यदि लोग Lahori Zeera नहीं खरीदते थे, तो शॉपकीपर खुद उसे पर्सनल उपभोग कर लेता, क्योंकि उसको यह प्रोडक्ट बहुत पसंद आया था। इस प्रकार, Lahori Zeera के संस्थापकों ने चंडीगढ़ में हजारों रिटेलर्स से मिलकर सभी को अपना प्रोडक्ट बेचा, प्रत्येक रिटेलर से लगभग 200 से 500 के बीच के कैश सेल की।

रिटेलर ने भी Lahori Zeera को बेचने का निर्णय लिया क्योंकि Lahori Zeera रिटेलर्स को अधिक मार्जिन प्रदान करता था। मार्जिन की बात करें तो, डिस्ट्रीब्यूटर का मार्जिन आमतौर पर 10 से 11 पर होता है, जबकि रिटेलर्स का मार्जिन 15 से 20 पर होता है।

अन्य ब्रांड की ड्रिंक्स में रिटेलर की मार्जिन लगभग 10 से 11 पर होती है, इसलिए रिटेलर्स लाहोरी जीरा को बेहतर मानते थे और उसे अपने ग्राहकों को सुझाते थे। इस डिस्ट्रीब्यूशन चैनल में, रिटेलर का रोल समझना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह कस्टमर से सीधे इंटरेक्ट करता है। अगर रिटेलर किसी चीज की नकारात्मक टिप्पणी करता है, तो कस्टमर उसे नहीं खरीदेगा, जबकि रिटेलर अगर किसी चीज की प्रशंसा करता है, तो कस्टमर उसे खरीदेगा।

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जब यह प्रोडक्ट दिल्ली में प्रसिद्ध हुआ, तो आसपास के एनसीआर एरिया में भी यह प्रसिद्ध हो गया और इस तरह से एक-एक करके लाहरी जीरा ने पूरे नॉर्थ इंडिया को अपने कब्जे में लेते हुए कारोबार को बढ़ाया। इसके खिलाफ दूसरी कंपनियों की तुलना में, जैसे कि पेप्सी, जो 15 दिनों बाद ही उपलब्ध होती, यहां Lahori Zeera के केस में यह पूरी तरह से उलटा है। डिस्ट्रीब्यूटर आपको पैसे 10 से 12 दिन पहले ही एडवांस में दे देता है।

यह अच्छी खबर है कि आपके प्रोडक्ट की मार्केट में मांग है, लेकिन यह एक बुरा संकेत भी है कि आप मार्केट की मांग को समय पर पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण था कि Lahori Zeera के पास अब तक एक ही प्लांट था, जो कि पंजाब में स्थित था, जिससे वे अपनी ड्रिंक्स की उत्पादन कम कर पा रहे थे। उन्हें दूसरे क्षेत्रों में ड्रिंक्स पहुंचाने के लिए भी अधिक खर्च हो रहा था। इसके बजाय, Lahori Zeera ने गुजरात में अपना दूसरा प्लांट स्थापित किया है, जिससे मांग को पूरा करने का सक्षम हो और ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को भी कम किया जा सके।

आज, Lahori Zeera एक दिन में 50 लाख बोतलें प्रोड्यूस कर सकता है और एक बोतल का कंसंट पीरियड एक से डेढ़ दिन का है, अर्थात शॉपकीपर के पास यदि आज सुबह Lahori Zeera की बोतल आई है, तो वह रात तक या कल दोपहर तक बिक जाएगी।

इसके अलावा, लाहौरी ने अपनी प्रोडक्ट लाइन को एक्सपेंड कर दिया है। आज, लाहौरी के पास छह प्रोडक्ट्स हैं, और सबके नाम के आगे “लाहौरी” लगता है ताकि लोग उसे पहचान सकें। रिवेन्यू की दृष्टि से, लाहौरी जीरा का 2018-19 का रिवेन्यू 11 करोड़ था, उसके बाद अगले साल का रिवेन्यू 20 करोड़ था, कोविड की वजह से। फिर उससे अगले साल का रिवेन्यू 80 करोड़ था और इस साल का रिवेन्यू लगभग डबल होने की संभावना है

 

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